सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

ग़ज़ल (बदलाब )




ग़ज़ल (बदलाब )


जिनका प्यार पाने में हमको ज़माने लगे
वह   अब नजरें मिला के   मुस्कराने लगे

राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
बातें  दिल की हमें वह  बताने  लगे 

अपना बनाने को  सोचा  था जिनको
वह  अपना हमें अब   बनाने लगे

जिनको देखे बिना आँखे रहती थी प्यासी
वह  अब नजरों से हमको पिलाने लगे

जब जब देखा उन्हें उनसे नजरे मिली
गीत हमसे खुद ब खुद बन जाने लगे

प्यार पाकर के जबसे प्यारी दुनिया रचाई
क्यों हम दुनिया को तब से भुलाने लगे

गीत ग़ज़ल जिसने भी मेरे देखे या सुने
तब से शायर वह  हमको बताने लगे

हाल देखा मेरा तो दुनिया बाले ये बोले
मदन हमको तो दुनिया से बेगाने लगे ...


ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना


 

12 टिप्‍पणियां:

  1. जिनका प्यार पाने में हमको ज़माने लगे
    बह अब नजरें मिला के मुस्कराने लगे

    वाह वाह वाह-क्या बात है-
    मन मांगी मुराद मिली

    राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
    बातें दिल की हमें बह बताने लगे -

    हो सकता है यह सच ना हो-होशियार रहिएगा-

    अपना बनाने को सोचा था जिनको
    बह अपना हमें अब बनाने लगे-

    कहीं ऐसा तो नहीं वह बनाने लगे-
    हा हा हा

    जिनको देखे बिना आँखे रहती थी प्यासी
    बह अब नजरों से हमको पिलाने लगे-

    भगवान् तृप्ति करे आत्मा को-

    जब जब देखा उन्हें उनसे नजरे मिली
    गीत हमसे खुद ब खुद बन जाने लगे-

    यह बढ़िया -

    शुभकामनायें आदरणीय-

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  2. राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
    बातें दिल की हमें बह बताने लगे
    waah...bahut khoob...

    anu

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार अनु . मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .आशा है आपकी कृपा आगे भी बनी रहेगी .

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  3. राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
    बातें दिल की हमें बह बताने लगे ...
    यही तो प्यार है ... इसी को प्रेम कहते हैं ...
    अच्छा शेर है इस गज़ल का ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने सभी अशआर अपनी छाप छोड़ते हैं दाद कबूल करें

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार राजेश कुमारी जी . मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .आशा है आपकी कृपा आगे भी बनी रहेगी .

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  5. जब जब देखा उन्हें उनसे नजरे मिली
    गीत हमसे खुद ब खुद बन जाने लगे
    bahut sunder ghazal.

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार सिंह साहब . मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .आशा है आपकी कृपा आगे भी बनी रहेगी .

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  6. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार कबिता जी . मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .आशा है आपकी कृपा आगे भी बनी रहेगी .

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